आपका आज का वेद मंत्र
आनन्द दाता संत वासना मिटा सोम पान कराता है| संत अंतर प्रभु धार बहा मन की वासना मारता है| देहधारी संत अंतर प्रभु धार बहाता है| तृप्त संत सतत प्रवाहित प्रभु धारा निरन्तर देता है|